Saturday, January 1, 2011

ज्योतिष का रहस्य

प्यारे दोस्तों आज मै मेष लग्न में शनि की दशा/अन्तर्दशा के फलों के बारे में  चर्चा करूँगा! शनि मेष लग्न में दशम और एकादश भाव का स्वामी होता है! केंद्र स्थानों में दशम स्थान सर्वोत्तम होता है! कर्म का भाव यही है! एकादश भाव फल प्राप्ति का है! ज्योतिष शास्त्र में शनि ही एक मात्र ऐसा है जिसे लगातार दो राशियों का स्वामित्व प्राप्त है! शनि का दशम और एकादश भाव यानि कर्म और फल पर पूर्ण अधिकार है! यह अधिकार किसी अन्य को नहीं प्राप्त है! अतः कर्म के अनुसार फल देना शनि का प्रमुख कार्य है! इसीलिए सौरमंडल में शनि को न्यायाधीश का पद प्राप्त है! यह पद/स्थान उसे भगवान् शिव के द्वारा दिया गया है! शनि इस कार्य में कभी भी चूक नहीं करता है! यही कारन है की लोग शनि का नाम सुनते ही भयभीत हो जाते है! जबकि यह तो अपने कर्मो के अनुसार ही लोगो को दण्डित या पुरस्कृत करता है! एकादश भाव पापी भावो में सर्वाधिक पापी है! अतः एकादश भाव का स्वामी सर्वाधिक पापी होता है! इसी  कारन मेष लग्न में शनि पाप फल भी अवस्य करेगा भले ही वह रागयोग कारक ही क्यों न हो!

दसम भाव  से कर्म, पिता, व्यापार,सरकार,सम्मान,सरकारी नौकरी,पशुपालन,बड़े उद्योग,घुटना ,सास,राजदंड, उच्च पद,उच्चाधिकार,परतिष्ठा,उचाई,महत्वाकंछा की प्राप्ति,मंत्रिपद,नेत्रित्वाशक्ति आदि, देखा जाता है!

एकादश भाव से आय,लाभ,ठेकेदारी,दामाद,बहू,आभूषण,बड़ा भाई,बड़ी बहन,पुत्र-वधु,चोट,पिंडली,माता की आयु,द्वितीय जीवन-साथी,चाचा,चालू-खाता, आदि देखा जाता है!

मेष लग्न में शनि की दशा/अन्तर्दशा में दशम भाव से सम्बंधित अति श्रेष्ठ फल देगा! इस समय जातक का पूर्ण भाग्योदय अवस्य होता है! सफलता के शिखर को छूता है! कुंडली में शनि कितना भी पापी क्यों न हो दशम भाव से सम्बन्धी शुभ फल ही प्राप्त होंगे! दूसरी तरफ एकादश भाव से सम्बंधित फल निश्चित रूप से अशुभ रूप में प्राप्त होंगे, भले शनि कुंडली में कितना ही प्रबल क्यों न हो! हाँ! यदि शनि एकादश भाव में बैठा हो तो धन के मामले में अशुभ फल न देकर अति शुभ फल देगा!(यह सार्व भौम नियम है की एकादश भाव में स्थित गृह धन के मामले हमेशा शुभ फल ही देते है!)

नोट:- शनि अत्यंत परोपकारी है! यदि आप परोपकारी है तो शनि कभी भी आपको मायूस नहीं होने देगा! विपरीत परिस्थितियों   में से भी सकुशल और शानदार तरीके निकाल कर ही रहेगा! यह बात अनुभूत है और पत्थर पर लकीर की तरह सत्य है! यदि  परोपकारी नहीं है तो जीवन काल का सबसे बुरा दिन भी अवश्य दिखा देगा!    

उपाय:- (१)  शनिवार के दिन नीले रंग का वस्त्र धारण करें!
          (२)  परोपकार करें!
          (३)  शमी की लकड़ी से ॐ शं शनैश्चराय नमः स्वाहा का उच्चारण करते हुए १०८ बार (लकड़ी को गाय के घी में    डुबोकर)हवन शनिवार को करें!



  

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