Wednesday, January 5, 2011

मकर लग्न और शनि दशा

मकर लग्न में शनि लग्नेश और द्वितीयेश होता है ! ज्योतिषियों में शनि को लेकर  काफी भ्रम है! यही कारन है की आम लोगों में भी शनि को लेकर काफी बुरी तरह भय का वातावरण बन गया है! यह सब वैसे ज्योतिषियों के कारन है जो खानदानी तौर पर ज्योतिष को व्यवसाय बना कर लोगों का भयादोहन करते है! वस्तुतः कोई भी ग्रह कुंडली में भाव स्थिति के अनुसार ही फल देता है! स्वाभाविक पापी अथवा शुभ  जैसी बातें तो साधारण स्तर पर लोगों को समझाने के लिए ही कहा जाता है! मकर लग्न और कुम्भ लग्न के बारे में भी ऐसी ही धरना है! परन्तु बात ऐसी बिलकुल भी नहीं है! कई ऐसे योग है जो सिर्फ और सिर्फ इन्ही दो लग्नो में संभव है, किसी अन्य में नहीं ! मै उन सब के बारे में अभी कुछ नहीं कहकर मकर लग्न में शिअनी की दशा के बारे में ही अपना विचार व्यक्त करने जा रहा हूँ!

लग्न से रंग, रूप, स्वाभाव, जाती, कद, सर, आयु,रोग, यश, प्रतिष्ठा, धन, दिमाग, स्वास्थ्य,मस्तक,सफलता, व्यक्तित्व, पूर्व जन्म के बचे हुए कर्मो का फल आदि देखा जाता है!

द्वितीय भाव से धन, अचल संपत्ति, कुटुंब, मुख, भोजन , परिवार, वाणी, मारक, शासन-सत्ता, उच्च स्तरीय शिक्षा, सत्यासत्य, जीवन साथी का सुख, दम, खांसी, उपदेशक, मंत्र सिधि, श्राप, वक् सिध्धि आदि का विचार किया जाता है!

मकर लग्न में शनि की दशा के दौरान अशुभ फल की आशा नहीं करनी चाहिए! हाँ, यदि की स्थिति बहूत ही खराब हो (कुंडली में) तो शुभ फल में कमी अवस्य हो सकती है! इसी तरह यदि शनि कुंडली में राजयोग का निर्माण कर रहा हो तो अपनी दशा के दौरान अति श्रेष्ठ फल देगा! उदहारण के लिए मोहम्मद अली जिन्ना साहब का नाम लिया जा सकता है! जिन्होंने अपना लक्ष्य पा ही लिया! भारतीय सिनेमा के महानायक अमिताभ बच्चन जी को देखिये! शनि दशा के पूर्व अमिताभ जी की दशा यह थी की वे फ़िल्मी दुनिया को छोड़कर वापस जाने की सोचने लगे थे! शनि की दशा आते ही क्या से क्या हो गया यह पूरी दुनिया जान रही है!

शनि की दशा के दौरान जातक को चाहिए की अपनी योजना पर जी जान से जुट जाये! क्योंकि ऐसा शुभ समय दुबारा नहीं आएगा! लग्नेश तथा द्वितीयेश होकर शनि स्थिति और हैसियत के अनुसार सर्वोत्तम राजयोग के सामान सुख देता है! अतः उपरोक्त बातों से सम्बंधित शुभ फलों की प्राप्ति अवस्य  होता  है!

यह दशा धन और राज सुख को देने वाली होती है! खाक पति  भी लाख पति बन जाता है! तात्पर्य यह की धनागमन अवस्य होता है! कैसा भी मारक योग क्यों न चल रहा हो शनि की मूल दशा में निधन नहीं होता है! बड़े-बड़े व्यापर, उद्योग आरम्भ होते है! अचल धन का निर्माण होता है! कुटुंब, परिवार, सत्ता के लोग प्रसन्न रहते है! स्वयम शासन से लाभ उठाता है! समाज/राज्य/देश का अधिपत्य प्राप्त करता है! कई सिद्धियों को प्राप्त करता है! आत्म सिधि में लगे व्यक्तियों को विस्मयकारी अनुभूति होती है! जिस क्षेत्र में कार्य कर रहा होता है उसमे अद्भुत सफलता प्राप्त होती है! शत्रु को छिपने की जगह कम पद जाती है! यश, धन, मान, पद, प्रतिष्ठा, सफलता प्राप्त होती है!    

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