Friday, January 7, 2011

मकर लग्न में मंगल की दशा

मकर लग्न में मंगल चतुर्थ और एकादश भाव का स्वामी होता है! केन्द्रेश होकर अति शुभ हो जाता है परन्तु एकादशेश होकर कुछ अशुभ फल करता है! मंगल यदि स्थिति के अनुसार राजयोग का निर्माण कर रहा हो तो परम शुभ फल देता है! एकादश भाव का स्वामी होने से धन से सम्बंधित अत्यंत शुभ फल देता है ! अपनी दशा के दौरान जातक को धन सम्बन्धी चिंता नहीं करने देता है! यदि दशा मध्यायु में पड़ती है तो जातक को इतना धन देता है वह भूमि का क्रय अवस्य्मेव करता है! नौकरी करता है! धन की अधिकता के कारन अहंकारी बना देता है! यदि मध्यायु से पूर्व दशा आती है तो धन कमाने के नविन विचार/तरीके के बारे में कल्पना किया करता है! ऊँचे-ऊँचे ख्याल मन में आते रहते है! यदि मध्यायु  के बाद दशा आती है तो अपने पराक्रम से इतना धन अर्जित करता है की लोग आश्चर्य करते है! ऐसे में जातक को चाहिए की मंगल की दशा या अन्तर्दशा में ज़मीन की खरीद गुरुवार को ही करे!इसका लाभ यह होगा की पूंजी की फंसने की संभावना नहीं रहेगी! यदि पूंजी फंसती भी है तो गुरु या शनि दशा/अन्तर्दशा में कई गुना लाभ के साथ लौटा देता है! मकर लग्न में एकादश भाव से सम्बंधित बाकि सारे फल अशुभ ही होते है! बड़े/छोटे भाई से वैचारिक मतभेद होंगे! भाई प्रति द्वंद्वी की तरह व्यवहार करेंगे! कम बनाना तो दूर काम बिगड़ जाने पर खुश होंगे! पुत्र वधु को खून से सम्बंधित बीमारी होगी! बड़े भाई के लिए स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा समय नहीं रहेगा! ऑपरेशन की नौबत भी आ सकती है! यदि मंगल की दृष्टि एकादश भाव पर हो तो बहन के लिए अत्यंत दुखदायी होता है! जातक का खर्च आमदनी से कहीं ज्यादा हो जाता है! परन्तु आवास्यक्त्नुसार लाभ होता रहता है! जहाँ-जहाँ भी मंगल की दृष्टि पड़ेगी उसी भाव सम्बन्धी बातों में खर्च बढेगा! दामाद या जीजा के लिए भी अच्छा नहीं रहता है! चोट लगने की संभावना रहती है!घुटने से निचे पिंडली में दर्द होता है या चोट के निशान बन जाता है! ठेकेदारी में भी हाथ आजमाने की इच्छा जागृत होती है जो आगे चलकर दुसरे रूप में काम आता है! यदि मंगल स्वयं एकादश भाव में न बैठा हो तो मकर लग्न वालों को ठेकेदारी का कार्य नहीं करना चाहिए!

मंगल की दशा में चतुर्थ भाव से संबधित फल अति शुभ साबित होते है! जातक को भूमि, भवन, माकन, वस्त्र, वाहन, माता, सुख, ऐश्वर्य, सार्वजानिक कार्यों अभिरुचि, मित्र सुख, कृषि, जनता, ससुर आदि का भरपूर सुख होता है! इस दौरान मगल लग्नेश के सामान शुभ साबित होता है! अर्थात. चतुर्थ भाव  से संबधित सारे मामलों में मंगल परम शुभ साबित होता है! जातक को चाहिए यदि मंगल की दशा आरंभ होने वाली हो तो अपनी सारी शक्ति के साथ उपरोक्त फलों की प्राप्ति के लिए प्रयास  करे ! क्योंकि मंगल सेनापति है और वह भी देवताओं का! मंगल उत्तेजित करने वाला ग्रह है! युवावस्था का वह रूप है जो वह सारा काम अपने बाहुबल से प्राप्त कर लेने की योजना बनता है! कालपुरुष की बाहू और कंधे का बल है मंगल! मकर लग्नवालों को चाहिए की बड़ा-बड़ा कार्य या वैसा कार्य जिसे कर पाना हर किसी के लिए संभव न हो इसी समय आरम्भ करे! कैसा भी विपरीत समय क्यों न चल रहा हो इस समय जातक के पराक्रम का अहसास लोगों को होने लगता है! किसी न किसी बात के लिए उसे प्रसिद्धी प्राप्त होने लगती है! उसकी प्रतिभा रंग दिखाने लगती है! इस समय देखे गए ख्वाब पुरे होते है! मंगल के बलानुसार शुभ फल अवस्य प्राप्त होते है!

उपाय :- (१)   मंगलवार के दिन गहरा खुनी लाल रंग का वस्त्र धारण करे!
           (२)   चिरचिरी की लकरी से मंगलवार की सुबह १०८ बार ॐ भौम भौमाय नमः स्वाहा का जप करते हुए भगवन विष्णु        
                  की तस्वीर सामने रखकर हवन करे!       
           (३)   ताम्बे का कड़ा मंगल वार को सूर्योदय के समय धारण करे!  
                             

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