मंगल प्रथम और अष्टम भाव का स्वामी होकर अपनी दशा/अन्तर्दशा में क्या फल देगा ?
प्रथम भाव से रंग, रूप, स्वाभाव, जाती, कद, सर,आयु,रोग,यश,प्रतिष्ठा,धन,दिमाग,स्वास्थ्य,मस्तक,आकृति,सफलता,सम्पूर्ण जीवन में प्राप्त होनेवाली कामयाबी आदि का विचार करते है!
अष्टम भाव से आयु, मौत का प्रकार,विदेश, महाकष्ट,पुरातत्व,अंडकोष,अचानक मुसीबत,दुर्घटना,उचाई से गिराने के कारन लगनेवाली चोट,विपत्ति,समुद्री यात्रा,लौटरी , पत्नी का धन,गुप्त रोग,बदनामी,आलस्य,वसीयत,दरिद्रता आदि का विचार किया जाता है!
यदि मेष लग्न में मंगल की दशा/अन्तर्दशा चल रही हो तो प्रथम भाव से सम्बंधित सारे फल अच्छे होंगे! अष्टम भाव से सम्बंधित फलों में मृत्यु को छोड़कर सारे अनिष्ट भी अवस्य ही प्राप्त होंगे! भले ही मंगल राजयोग का निर्माण क्यों न कर रहा हो! ध्यान रहे मंगल छोटा भाई का करक है! अतः कई मुसीबतों में छोटा भाई ही कारन बनेगा!
उपाय:-(१) मंगलवार को लाल रंग का वस्त्र धारण करे!
(२) खैर की लकड़ी से ॐ भौम भौमाय नमः स्वाहा का उच्चारण करते हुए १०८ बार गाय के घी में डुबोकर मंगलवार को हवन करे!
(३) प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पथ करे!
(४) मंगलवार को किसी को भी लाल रंग की वस्तु दान या उधर न दे!
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