Friday, January 7, 2011

मकर लग्न में चन्द्रमा की दशा

मकर लग्न में चन्द्रमा सप्तमेश होकर दांपत्य जीवन के लिए कई तरह से शुभ होता है! चन्द्रमा नक्षत्रों की रानी है! स्वयं ही लग्न की ताकत रखता है! यदि नीच, मकर राशी में या षष्ठ, अष्टम या द्वादश भाव में स्थित न हो तो अकेला ही जातक के जीवन को धन्य कर देता है! उपरोक्त स्थितियों में यह अपनी दशा/अन्तर्दशा के दौरान उन परिस्थितियों का निर्माण करता है जिससे जातक को मानसिक पीड़ा होती है! जैसा सोचता है उसके ठीक विपरीत फल प्राप्त होता है! चन्द्रमा मन का कारक है! सुख दुःख की अनुभूति मन के द्वारा ही होती है! इसीलिए मानसिक कष्टों का कारन चन्द्रमा ही होता है!

 चन्द्रमा उपरोक्त स्थिति में अपनी दशा/अन्तर्दशा के दौरान ही मानसिक चिंताए देगा बाकि समय नहीं! मकर लग्न में चन्द्रमा लग्न में बैठकर सप्तम भाव को अति शुभ बना देता है! राजयोग का निर्माण करता है! केन्द्रेश होकर लग्न में होना इस बात का प्रमाण है की व्यक्ति का दाम्पत्य जीवन शानदार और सफल रहेगा ! ऐसे व्यक्ति प्रेम के मामले में भाग्यशाली होते है! मकर लग्न में प्रेमी/प्रेमिका भाव का स्वामी एक अन्य स्त्री ग्रह शुक्र बनता है! यदि शुक्र का सम्बन्ध किसी भी तरह से चन्द्रमा से हो जाये तो पत्नी के अतिरिक्त प्रेमिका भी अवस्य होती है! आश्चर्यजनक बात तो यह है की जातक पत्नी और प्रेमिका दोनों संबंधों को  बखूबी निभाता है! परन्तु पत्नी से सम्बन्ध चिरस्थायी ही रहता है! सप्तमेश चन्द्रमा भोग का निर्माण करता है! भोग बिना धन के नहीं होता! अतः धनागमन अवस्य करता है! व्यापर से लाभ उठाता है! ऐसा व्यवसाय जिसमे किसी स्त्री का सहयोग या पत्नी का सहयोग हो कभी विफल नहीं होता! जातक को चाहिए की बड़े-बड़े व्यापर पत्नी के नाम से ही करे! क्योंकि बड़े व्यापर का भाव भी एक स्त्री ग्रह शुक्र द्वारा ही प्रभावित है! शुक्र बड़ा ही सुन्दर ग्रह है! अतः व्यापारिक साझेदार कोई सुन्दर स्त्री होगी! पुरुष मित्रों के साथ भी व्यापर सफल होगा परन्तु कुछ कम ही होगा! इसमे धोखा की संभावना ज्यादा रहेगी ! यदि किसी को व्यापार के लिए पैसे देने हो तो बुधवार को कदपि न दे! इस दिन दिए गए पैसे बड़ी मुश्किल से लाभ दिला पाएंगे! पूंजी फंसने की संभावना रहेगी! साझेदारी के काम सफल होगा! शनि चर और स्थिर दोनों राशियों का स्वामी बनता है! चन्द्रमा स्वयं चर राशी (कर्क) का स्वामी है! अतः ऐसे कार्यों में जिसमे सामान की खपत जल्दी-जल्दी होता हो, व्यापार की दृष्टि से उत्तम साबित होता है! चन्द्रमा मारकेश होता है! परन्तु इसे मारक का दोष नहीं होता! चन्द्रमा माता है! माता कभी भी शिशु की मृत्यु नहीं चाहेगी! चन्द्रमा  की मूल दशा में निधन प्रायः नहीं होता है! स्पष्ट है जातक की आयु लम्बी होती है! यही नहि उसकी जवानी भी दीर्घ समय तक बरक़रार रहती है! जातक को चाहिए की ज़मीन, फैंसी वस्तुओं, भूमि/जल से उत्पन्न पदार्थों, उजली वस्तुओं, रस (तरल) आदि पदार्थों से संबधित व्यवसाय करे! लेन-देन अपने हाथों से न करके पत्नी के हाथों से करवाए! शनि अंधकार को पसन्द करता है! अतः व्यापार के सिलसिले में रात्रि में ही अपनी योजना बनाये! सूर्योदय से सूर्यास्त तक कोई भी योजना नहीं बनानी चाहिए! तात्पर्य यह की जब तक सूर्य उदित रहे अपनी योजना के बारे में किसी से चर्चा स्वयं न करे! चंद्रमा सोमवार का प्रतिनिधि है! अतः व्यापारिक कार्यारम्भ सोमवार के दिन ही करे!

विशेष:- शनि जब लग्नेश होकर जब  लग्न, पंचम और दशम भाव पर दृष्टि डाले या उसी में स्थित हो तो जातक को चाहिए की शिक्षण संसथान खोले या  बच्चों को मुफ्त में पुस्तक/पुस्तिका बांटे! इसका फल यह होगा की महाप्रयाण काल की बेला में भगवती की कृपा अवस्य होगी!

नोट:- पत्नी की प्रसन्नता ही सफलता की कुंजी साबित होगी! भतीजा/भतीजी के प्रसन्न रहने पर कई ऐसे कार्य बन जायेंग जिसे जातक असंभव समझता है! भतीजा/भतीजी को सोमवार के दिन उजला अन्न,वस्त्र,चाँदी आदि देना व्यापार और दाम्पत्य जीवन के लिए अति शुभ होता है! इससे निःसंतान को संतान और पुत्रहीन को पुत्र की प्राप्ति होती है!

उपाय:- (१)   सोमवार के दिन उजला वस्त्र पहने!
          (२)   चन्द्रमा की दशा/अन्तर्दशा/प्रत्य्न्तार्दशा के दौरान या ऐसे भी चाँदी का कड़ा दाहिने हाथ में धारण करे!
          (३)   पलाश की लकड़ी से १०८ बार ॐ सोम सोमाय नमः स्वाहा का उच्चारण करते हुए हवन करे!    

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