Thursday, December 30, 2010

वैवाहिक मुहूर्त ज्योतिष की दृष्टि में!

मेरे प्यारे दोस्तों! कल मैंने आपको विवाह के मुहूर्त के बारे में बताया था! नवांश  की चर्चा की थी! आज मै आपको यह बताने जा रहा हूँ की सिर्फ ४ नवांशों में ही सिंदूरदान आदि कार्य  क्यों करने की बात की गई है! मै १२ नवांशों में किये गए विवाह का फल बताने जा रहा हूँ जिसे जान कर आप निर्णय ले सकते है!

(१)  मेष नवांश -इसमें विवाह होने पर कन्या यारों (बॉय फ्रेंड) से प्रेम कराती रहेगी!
(२)  वृषभ नवांश में पशुवत (जानवर की तरह) स्वभाव की होती है!
(३)  मिथुन नवांश में धन और पुत्र से युक्त होती है!
(४)  कर्क नवांश में वेश्या होती !
(५)  सिंह नवांश में पिता के ही घर रह जाती है!
(६)  कन्या नवांश में सुशीला और धनयुक्त होती है!
(७)  तुला नवांश में सर्वगुण संपन्न होती है!
(८)  वृश्चिक नवांश में अत्यंत निर्धन और दुष्ट स्वभाव की होती है!
(९)  धनु नवांश के पूर्वार्ध में धन युक्त और उत्तरार्ध में व्यभिचारिणी,मलिन और रोगिणी  होती  है!
(१०) मकर नवांश में दरिद्र होती है!
(११) कुम्भ नवांश में पति रहित और दुबली-पतली होती है!
(१२) मीन नवांश में पति युक्त होने पर भी धनहीन होती है!

नोट:- किसी राशि का अंतिम नवांश यदि वर्गोत्तम नहीं हो तो विवाह्ह नहीं करना चाहिए! यानी ऊपर बत्ताए गए मिथुन,कन्या,तुला और धनु का पूर्वार्ध भी किसी राशि का अंतिम नवांश हो और वह वर्गोत्तम नहीं हो तो विवाह नहीं होगा! वर्गोत्तम का अर्थ है जो लग्न है वही नवांश अंत में है!जैसे मेष लग्न का अंतिम नवांश धनु होता है ! धनु के नवांश  में विवाह ठीक है परन्तु चूँकि धनु अंतिम नवांश है इसलिए विवाह नहीं होगा! दूसरा उदाहरण ले मिथुन लग्न का अंतिम नवांश मिथुन ही होता है! इसमें विवाह होगा क्योंकि लग्न भी मिथुन और नवांश भी मिथुन! अतः यह नवांश वर्गोत्तम हो गया!     

विशेष:- नवांश का समय बहूत कम होता है! नवांश का अर्थ है लग्न या राशी का ९ वां भाग!किसी लग्न में ७ मिनट (सबसे कम)  
और सबसे ज्यादा ११ मिनट का होता है! किसी लग्न में लागातार दो नवांश आता है ! उस स्थिति में भी अधिकतम २२ मिनट और कम से कम १४ मिनट ही होगा! इसलिए ज्योतिष का निर्देश है की विवाह का प्रधान कार्य जो कन्यादान/पाणिग्रहण/सिंदूरदान है, वह उत्तम लग्न को देखकर ठीक समय/नवांश में होना चाहिए! आगे-पीछे की शेष क्रियाएं उस लग्न से पहले या बाद में किया जाना चाहिए!

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