Saturday, July 6, 2013

JANMA KUNDLI RAHASYA.....

                       आज मै ज्योतिष के विशेष नियम को लिख रहा हूँ ! यह अनुभूत है और पत्थर पर लकीर की तरह है ! इसे कोई भी जाँचकर देख सकता है !

१.    कोई भी लग्न हो यदि मंगल दशम भाव में स्थित है तो वह व्यक्ति अपनी जन्म अवस्था की तुलना  में अधिक समृधि को प्राप्त करेगा !वह समाज या देश को दिशा देता है और यश ,नाम ,पद को अवस्य ही प्राप्त करता है!

२      यदि सूर्य सप्तमेश होकर अपनी राशी, या उच्च का होकर कही भी स्थित हो तो प्रायः जातक की पत्नी उच्च कुल/जमींदार/राजकुल की होती है! यदि चन्द्र भी सप्तम में स्थित रहे तो और भी निश्चित है! उनका दाम्पत्य जीवन श्रेष्ट कोटि का होता है! इस मामले में इससे श्रेष्ठ कोई अन्य स्थिति नहीं है!

३       यदि  गुरु और शुक्र एक साथ हो या आपस में दृष्टि या क्षेत्र सम्बन्ध बना रहे हो तो समृधियों को देने में कभी विफल नहीं होता ! उसे किसी न किसी बात के लिए प्रसिद्धी अवस्य मिलती है!

४        यदि शुक्र और मंगल एकत्र हो या दृष्टि या क्षेत्र सम्बन्ध  बना रहे हो तो व्यक्ति में कामुकता प्रबल होगा! वह प्राकृतिक/अप्राकृतिक सभी प्रकार से अपनी वासना को शांत करता है!विवाहेत्तर सम्बन्ध अवस्य्मेव रखेगा!

५         यदि स्त्री की कुंडली में स्व राशी का पूर्ण  चन्द्रमा हो और सप्तम भाव में बुध,गुरु,और शुक्र हो तो वह राजमहिषी होगी!उसका पति निश्चय ही राजा या राजा के सामान होगा!