Wednesday, January 18, 2012

Singh Lagna me Guru ki Mahadasha

सिंह लग्न में गुरु पंचमेश और अष्टमेश होता है ! पंचमेश होने से त्रिकोनेश का  फल करता है ! अर्थात पंचम भाव द्वारा प्रदर्शित सभी फल शुभ रूप में प्राप्त होता है ! अष्टमेश होने परम अशुभ फल देता है ! अर्थात अष्टम भाव से प्रदर्शित  सभी फल अशुभ रूप में प्राप्त होता है!

         उपरोक्त फल गुरु की महादशा में ही प्राप्त होता है! न की अन्य ग्रहों की दशा में ! गुरु की शुभता और अशुभता में वृद्धि या कमी उसकी उच्च,नीच, अस्त, और भाव स्थिति के अनुसार होता है ! परन्तु अष्टमेश का अशुभ फल किसी भी स्थिति में बाधित नहीं होता! इसी प्रकार पंचमेश की शुभ फल भी बाधित नहीं होता ! अस्तु!

          पंचम भाव से संतान का विचार करते है! अतः गुरु की महादशा संतान सुख अवस्य प्रदान करेगा! यदि संतान प्राप्ति का समय नहि हो यानि अवयस्क हो या उम्र अधिक हो गयी हो तो संतान से सुख प्राप्त होगा! संतान के कर्मो के कारन मान, यश, प्रसन्नता आदि में वृद्धि होगी! यदि पहले से संतान न हो और उम्र हो तो हर हाल में संतान की प्राप्ति होगी! भले ही गोद लेना पड़े! अतः वैसे दम्पति को जिन्हें संतान की चाह हो गुरु की महादशा का इंतजार करना चाहिए!   

           यह भाव विद्या का है ! यह विद्या पुस्तक से सम्बंधित होने के अलावा ग्यान का है! अतः गुर की दशा के दौरान विद्या की प्राप्ति निश्चित है! विद्या और ग्यान बल पर जातक उल्लेखनीय सफलता हासिल करेगा! यदि शिक्षा से संबधित व्यवसाय करता है! यथा शिक्षक,वकील, व्याख्याता,लेखक,गीतकार,संगीतकार,भाषण आदि तो इसमे सफलता इस दौरान अवस्य प्राप्त होगी! तात्पर्य यह की इस दौरान पूर्व से अर्जित ग्यान के कारन रोजगार अवस्य प्राप्त होगा या रोजगार में वृद्धि होगी!

            बुधि का भाव होने के कारन जातक की बुधि काफी चपल हो जाएगी! हमेशा कुछ  न कच्छ नया करने की प्रेरणा होगी! बुधि का अधिकतम प्रयोग करके लाभ प्राप्त करने में सफल होगा! बुधिजीविओ की पेशा नयी उचाईयों को छुएगी! जातक की बुधि बल की प्रशंषा होगी!सम्मान की प्राप्ति होगी! धनागमन के श्रोत लगातार बने रहेंगे!

            नौकरी के भाव होने के कारन जरूरतमंदों को नौकरी लगेगी! आय के साधन प्राप्त होंगे!

              यह भाव 10+2  शिक्षा का है! अतः विद्यार्थियों के लिए परिवर्तनकारी  होगा! जातक उच्च शिक्षा के लिए निवास स्थान से दूर चला जायेगा! या फिर रोजगार प्राप्त होने के कारन शिक्षा में बाधा आयेगी! वह बाद में अपनी शिक्षा पूर्ण करेगा!

               विचार का भाव होने कारन जातक के विचार में परिवर्तन आएगा! यह परिवर्तन अच्छा या बूरा दोनों ही तरह का हो सकता है! यदि शुद्ध विचार वाला होगा तो दूषित विचार का हो जायेगा और दूषित विचार का होगा  तो शुद्ध विचारवाला हो जायेगा!

               प्रेमी/प्रेमिका का भाव भी यही है! प्रियतमा अथवा प्रियतम का भाव होने के कारन व्यक्तिगत या दांपत्य जीवन के लिहाज से यह भाव सर्वाधिक महत्वपूर्ण है! गुरु सम्मानित ग्रह है अतः प्रेमी या प्रेमिका एक दुसरे के प्रसंशा स्वरुप निकट के सम्बन्ध बनायेंगे! रूप व गुण के कारन एक दुसरे के प्रेम पाश  में बधेंगे! शादीशुदा जातक भी किसी न किसी के साथ जुड़ेंगे! अर्थात विवाहेत्तर सम्बन्ध इस दौरान अवस्य होंगे! भले ही जातक कितना भी भद्र/सज्जन क्यों न दिखता हो! यह सम्बन्ध कितना गहरा होगा यह गुरु की स्थिति पर निर्भर करेगा! यदि शुक्र और मंगल का सम्बन्ध (युति,दृष्टि,क्षेत्र,एकल दृष्टि) बन रहा हो तो आपसी सम्बन्ध सुनिश्चित और लम्बी  अवधि के लिए होंगे! मांगलिक योग वाले जातक के लिए यह दशा विशेष तनाव का कारन बनेगा! तलाक की नौबत आ सकती है! वस्तुतः गुरु शुभ ग्रह होने के कारन अपनी दशा में वह सारा सुख प्रदान करेगा जिससे मन संतुष्ट होता हो! इस दौरान कई प्रेमी/प्रेमिकाओ से संबध होंगे! आयाराम  गयाराम की स्थिति रहेगी!  काम वासना अत्यंत तीव्र रहेगी! जिसकी पूर्ति भी होगी!

          मंत्रिपद की प्राप्ति का भाव होने के कारन वैसे जातक जो राजनीति में है उनके लिए सुनहरा अवसर प्रदान करता है! मंत्रिपद की प्राप्ति अथवा उसके तुल्य कोई पद अथवा लाल्बती अथवा विशेष सम्मानित होकर संतुष्ट होगा! अपने कारोबार या नौकरी में पदोन्नति होगी! पद की प्रप्ति में वह व्यक्ति सहायक बनेगा जिसमे गुरु बैठा होगा! यह दशा जातक को अपने कार्यक्षेत्र  में शिखर पर पंहुचाकर ही दम लेती है! इस दौरान सलाहकार का कार्य करके भी संतुष्ट और प्रसिद्ध होता है!

           मनोरंजन के साधन प्रचुर मात्रा में प्राप्त होंगे! विपरीत लिंगी के सहयोग से या साथ कम करने से लाभ होता है! सिनेमा,नाटक,कला आदि से जुड़े जातको के लिए श्रेष्ठ समय होगा!

           पूजा-पाठ,जपत्र का जाप आदि का फल अवास्य्मेव  प्राप्त होगा! इस दौरान वृहस्पति की पूजा या भगवन श्रीविष्णु जी की पूजा सकल कष्टों का निवारण और सर्वार्थ्सिधि प्रदान करेगा! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय  का जप अतिश्रेष्ठ फल देगा! मानसिक चिंता से मुक्ति मिल जाएगी!