Friday, February 11, 2011

जन्म कुंडली में लग्नेश की दशा

            समयाभाव के कारन कई दिनों के बाद मै आपसे मुखातिब  हो रहा हूँ! इस दौरान मैंने महसूस किया है कि ज्योतिष शास्त्र में कई भ्रांतियां है! जन्म कुंडली और गोचर ग्रह को लेकर उलझन/भ्रान्ति है! जन्म कुंडली में गोचर ग्रहों कि क्या भूमिका है यही मै आज स्पष्ट करने का प्रयास करूँगा!

            जन्म कुडली का अर्थ सिर्फ इतना ही है कि जब किसी का जन्म हुआ उस समय/क्षण आकाश में ग्रहों का संचरण कितने अंशों पर था! ३६० अंशों  का मान सर्वमान्य है ! अब देखना यह है कि जिस स्थान पर व्यक्ति विशेष का जन्म हुआ वहां से दृष्टिपात करने पर आकाश में नवग्रह कितने अंश/कला पर स्थित थे ? बस उसको ही लिख देते है ! चूँकि ३० अंशो का मान एक राशी कही जाती है इसलिए प्रत्येक ग्रह भी किसी न किशी राशी में स्थित होंगे ! जन्म स्थान पर जो राशी  उदित हो रहा हो उसको प्रथम भाव में लिखकर अन्य राशियों को दुसरे, तीसरे भाव में क्रमशः लिख देते है ! इस प्रकार कुंडली  तैयार हो जाती है!
 एक बात और, ज्योतिष शाश्त्र में सिर्फ चक्र (कुडली) की चर्चा है ! जन्म के समय जो चक्र बनता है उसे जन्म कुंडली कहते है ! इसी प्रकार किसी भी घटना की कुंडली बना कर उसका फल कहा जाता है ! किसी बात के लिए या शुभाशुभ जानने के लिए जो चक्र/कुडली बनायीं जाती है उसे प्रश्न कुंडली कहते है! ज्योतिष शाश्त्र में समय/काल  को ही प्रमुखता दी गई है! काल या समय विशेष में जो घटना हुई या घटी उसका फलाफल कहने की विधि का ग्यान ही ज्योतिष शाश्त्र है ! इस तरह जन्म या मृत्यु भी एक घटना ही है जो समय विशेष में होती है ! यही कारन है की कोई भी कार्य करने से पहले लोग ज्योतिषी के पास जाते है और उस कार्य को करने का उत्तम समय पूछते है! ज्योतिषी पंचांग के आधार पर ग्रहों की स्थिति पाता लगाकर उत्तम या अच्छा समय का निर्धारण करते है ! चूँकि जन्म होना (इस धरती पर अवतरण ) सर्वाधिक महत्वपूर्ण समझी जाती है इसीलिए जन्म कुंडली की इतनी महत्ता है और कुछ नहीं!

           जन्म समय को आधार मानकर व्यक्ति के सम्पूर्ण जीवन के बारे में कहा जा सकता है ! ठीक उसी प्रकार किसी भी घटना के बारे में उसकी कुंडली बनाकर उस घटना से संबधित सारी बातें बताये जा सकती है! यही कारन है कि गृह निर्माण/गृहप्रवेश/आगमन/प्रस्थान आदि के बारे मे लोग ज्योतिषी का सहारा लेते है! जैसे कोई गृह का निर्माण करना चाहता है तो ज्योतिषी गणना करके बता देगा कि कौन सा समय गृहरम्भ के लिए उत्तम है! जैसे जन्म कुंडली के आधार पर जन्म भर कि बातें बताई जाती है उसी प्रकार गृहरम्भ काल कि कुंडली बनाकर उस गृह/मकान में कैसा फल घटित होगा यह बताया जा सकता है!

           जन्म समय के आधार पर ही जीवन भर अच्छी या बुरी घटनायें होंगी! गोचर ग्रहों का जन्म समय में स्थिति ही जन्म कुंडली का आधार है! प्रायः सारे विद्वान ज्योतिषी इस सिद्धांत से सहमत होंगे ! एक बार जब समय को आधार मानकर (यहाँ मेरा तात्पर्य पर जन्म समय से है!) जन्म कुंडली बन गई तो फिर उसमे किसी प्रकार का फेरबदल करना जन्म कुंडली के सिद्धांत को नकारना ही है! गोचरवश ग्रहों का जन्म कुंडली में निर्धारण करके यह कहना कि फ़िलहाल आपका समय बूरा इसलिए चल रहा है कि लग्न में या भाग्य भाव में शनि/राहु/केतु/मंगल बैठा है नितांत गलत है! कम से कम मै इस बात से कतई सहमत नहीं हूँ! जब मै यह बात कह रहा हूँ तो यह जानते हुए कह रहा हूँ कि मै परले दर्जे का मूर्ख समझा जाऊंगा! लेकिन मै कविवर महाकवि तुलसीदास जी के मतानुसार अपनी (`मति अनुरूप राम गुन गाऊं`) अत्यल्प बुद्धि के अनुरूप यह कह रहा हूँ! इसमे किसी अन्य स्वनाम धन्य ज्योतिषियों या गुरुजनों का कोई दोष लेशमात्र भी नहीं है! मै जनता हूँ कि यह बात ज्योतिष जगत में मान्य नहीं होगा! परन्तु न दैन्यम न पलायनम के अनुसार न तो किसी ज्योतिषी से क्षमा प्रार्थी हूँ न ही अपनी बात से पीछे हटूंगा! कोई मेरी बात से सहमत हो या न हो इससे मुझे  कोई फर्क नहीं पड़नेवाला है! यह मेरा अनुभव है और ज्योतिष को जितना मैंने जाना है उसी के आधार पर मै यह कह रहा हूँ! यह बात किसी भी ज्योतिष ग्रंथों में नहीं है ! मै एक बात और स्पष्ट कर दूँ कि मैंने ज्योतिष कि शिक्षा (क,ख............) किसी ज्योतिषी से नहीं ली है ! अतः मै गुरु द्रोह के कारन होने वाले पाप से वंचित हूँ! मैंने शत प्रतिशत ज्योतिष का ग्यान (चाहे गलत हो या सही ) स्वाध्याय से प्राप्त किया है! यही कारन है कि मेरा विश्वास राशी फल पर नहीं है! हालाँकि मै भी राशिफल केवल सच पत्रिका (पटना से निकलती है) में लिखता हूँ! मै द टाइम थ्योरी को मानता हूँ ! ज्योतिष को भी इसी परिपेक्ष्य में मैंने जाना है! मै यह बात अपने जीवन काल में पहली बार कह/लिख रहा हूँ! लगभग दो मिनट पहले मैंने अपनी प्राणप्रिया हृदयहारिणी साधना को भी सिर्फ यही कहा है कि मै एक बहूत बड़ी बात लिख दी है, थोड़ी देर में कहूँगा! जब तक उससे न कह लूं मुझे चैन  नहीं आएगा! सच  तो यह है कि ज्योतिष मेरी रूचि बाल्य काल से रही है और पढता भी रहा हूँ , लेकिन ज्योतिष का ग्यान का आधार मेरी जीवन संगनी ही है! यदि यह न होती तो ज्योतिषी के रूप में शायद ही कोई जानता! अब मुझसे नहीं रहा जा रहा है! मेरा शिर भारी सा हो रहा है! मै लिखना बंद कर यह बात साधना को सुनाने और समझाने जा रहा हूँ ! धन्यवाद्!